Wednesday, September 12, 2018

दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव आज

ने दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) चुनाव की ख़बर को प्रमुखता से छापा है.
आज डूसू के चुनाव हैं. कहने को तो ये छात्र संघ के चुनाव हैं, लेकिन यहां की हार जीत लोकसभा चुनावों के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है. इस बार डूसू चुनाव में वोट देने के लिए ढाई लाख छात्र रजिस्टर्ड हुए हैं. दिल्ली विश्वविद्यालय के 38 कॉलेज डूसू से संबद्ध हैं जबकि 18 कॉलेज संबद्ध नहीं हैं. ये चुनाव अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सेक्रेटरी और ज्वाइंट सेक्रेटरी के पद के लिए हो रहे हैं.
वोट सुबह आठ बजे से दोपहर एक बजे तक डाले जाएंगे. सांध्य कालीन कॉलेजों में दोपहर तीन बजे से शाम साढ़े सात बजे तक वोट डाले जा सकेंगे. sex
इमेज कॉपीरइट   पिछले चुनाव में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का पद एनइसके अलावा आरएसएस से जुड़ी एक ख़बर इंडियन एक्सप्रेस ने पहले पन्ने पर छापी है. दरअसल, आरएसएस दिल्ली में तीन दिन के एक लेक्चर सिरीज़ का आयोजन कर रही है जिसमें 60 देशों को न्योता भेजा जाएगा, लेकिन इन 60 देशों में पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान का नाम नहीं है. एसयूआई ने जाता था.
इस बार एबीवीपी के अभिनव बैसोया अध्यक्ष पद के उम्मीदवार हैं जबकि एनएसयूआई से सनी छिल्लर अध्यक्ष पद के उम्मीदवार हैं.
हिंदुस्तान टाइम्स की एक ख़बर चिंता में डालने वाली है. अख़बा
हालांकि दिल्ली सरकार ने नौ साल पहले ही यह नियम बनाया था कि दिल्ली में चलने वाले सभी ऑटो और टैक्सी में जीपीएस होना अनिवार्य है, लेकिन बावजूद इसके महज़ 31 प्रतिशत ऑटो में जीपीएस सही-सलामत काम कर रहा है और सिर्फ़ 18 फ़ीसदी टैक्सी ऐसी हैं जिनमें जीपीएस सही है.
1970 में बीबीसी की मुलाक़ात एक ऐसे व्यक्ति से हुई थी, जो ख़ुद कीटनाशक बनाता था. देखिए बीबीसी के पुराने खजाने से रिपोर्ट. sex
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र ने दिल्ली सरकार के आंकड़ों के आधार पर लिखा है कि दिल्ली में हर घंटे एक पेड़ काट दि
टाइम्स ऑफ़ इंडिया लिखता है कि अगर आप भी ऑटो में सफ़र करते हैं तो थोड़ा सतर्क हो जाइए क्योंकि राजधानी में चलने वाले मात्र 31 फ़ीसदी ऑटो में ही जीपीएस काम कर रहा है.
या जाता है और पिछले 13 सालों से ये हो रहा है. आंकड़ों के अनुसार, साल 2005 से फरवरी 2018 तक क़रीब 11 लाख से ज़्यादा पेड़ काट डाले गए.
उन्होंने जयपुर में पार्टी के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि चुनावों के दौरान भले ही विपक्ष मोहम्मद अख़लाक का मुद्दा उछाले या फिर अवॉर्ड वापस करने की बात लेकर आए, बावजूद बीजेपी ही जीतेगी. यह अख़लाक वही हैं जिन्हें कथित तौर पर बीफ़ खाने के शक़ में मार दिया गया.
कहां गई रघुराम राजन की सौंपी लिस्ट
भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन का कहना है कि उन्होंने कई बड़े घोटालों की एक लिस्ट बनाकर प्रधानमंत्री कार्यालय को सौंप दी थी, लेकिन अब तक उन पर क्या ऐक्शन लिया गया या नहीं, इस बारे में उन्हें कुछ भी नहीं पता.
भारत में अगले साल आम चुनाव होने वाले हैं. इससे पहले पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव भी हैं. देश में तमाम विपक्षी दल के ज़रिए एक महागठबंधन बनाने की बात हो रही है. इन विपक्षी दलों में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) भी अहम हिस्सा है.
पिछले कुछ वक़्त से वामपंथी संगठ
दूसरा यह कि जिस तरह की आर्थिक नीतियां मोदी सरकार लागू कर रही है, उससे लोग परेशान हैं. हमारे अन्नदाता, देश के किसान आत्महत्याएं कर रहे हैं. नौजवानों के लिए हर साल दो करोड़ नौकरियों का वादा किया था, लेकिन अब तो उल्टे लोगों के हाथों से नौकरियां जा रही हैं.
सवालः मैं आपके रोडमैप की बात कर रहा हूं, आप राष्ट्रीय एकता अखंडता की बात कर रहे हैं, यह नारा तो राजीव गांधी ने भी दिया था इंदिरा गांधी की हत्या के बाद. तो आने वाले चुनाव में आपके पास नया क्या है?
नए-पुराने की बात नहीं है. दरअसल आज के दिन देश में गरीब, दलित, अल्पसंख्यक सुरक्षित नहीं है. इसके लिए वैकल्पिक रास्ता चाहिए, वैकल्पिक नातियां चाहिए. इसलिए हमारा नारा है कि 'देश को नेता नहीं नीतियां चाहिए'.
इसके लिए मौजूदा सरकार को हटाना ज़रूरी है. हमारी पार्टी ने तय किया कि इस चुनाव में देश में हर जगह से सांप्रदायिक ताक़तों के ख़िलाफ़ वोट को बंटने से बचाना है.
नों के लाल झंडे के साथ दलित संगठनों का नीला रंग भी शामिल हो गया है और एक नारा उभर कर आया 'जय भीम लाल सलाम', तो क्या अब सीपीआई (एम) दलितों के मुद्दों के साथ आगे बढ़ने वाली है और आगामी चुनावों से पहले उनकी क्या रणनीतियां हैं?
सीपीआई (एम) के महासचिव सीताराम येचुरी से पूरा साक्षात्कार यहां पढ़िए.
सवालः जो उम्मीद मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी से लोगों को है, उसे पूरा करने के लिए अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को मद्देनज़र रखते हुए पार्टी का क्या रोडमैप है?
साल 2019 के चुनाव में हमें दो मुख्य चुनौतियों का सामना करना है और उनका जवाब देना है. पहला देश की एकता और अखंडता पर सांप्रदायिक ताक़तें जिस तरह से हमला कर रही हैं, उससे देश को बचाना बेहद ज़रूरी है.

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